देसी धान की 10 किस्में : इन किस्मों को लगाकर करें ज्यादा पैदावार

देसी धान की 10 किस्में : इन किस्मों को लगाकर करें ज्यादा पैदावार

किसान भाइयों आज के इस लेख मे देसी धान की 10 किस्में के बारे मे बात कारेंगे जिसे आप भी अपने खेतों मे लगाकर अच्छी पैदावार निकाल सकते हैं । देसी धान वैसी धान होती है जिन्हे किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों के बिना उगाया जाता है और इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती हैं।  देसी धान की खेती धीरे धीरे काम होती जा रही हैं जिसपे वैज्ञानिक और कृषि  सलाहकार इसकी ज्यादा खेती करने पे जोर दे रहे हैं। ये धान पर्यावरण को सुरक्षित रखता हैं।  ये सब धान की किस्में किसानों को स्थानिये स्तर पर मिल जाती हैं। चलिए , इस लेख में  दस देसी किस्मों के बारें मे अच्छे से जानकारी लेते हैं जिसे आप भी इन सब किस्मों को अपने खेत मे लगा सकते हैं।

देसी धान की 10 किस्में देखें :- 

1. काल नामक :-

ये जो किस्म हैं उत्तरप्रदेश की सबसे प्राचीन सुगंध देने वाली चावल की किस्म हैं और ये जो चवाल हैं सुगंधित होने के साथ साथ पचने योग्य व होता हैं। 

यह लगभग धान 130 से 135 दिन के अंदर मे तैयार हो जाता हैं। इसकी उपज 20 से 25 कुंटल प्रति हेक्टेर होता है। इसकी रंगत काली होती हैं इसी कारण इसको “काला नामक” कहा जाता हैं और इसे ही “पूर्वाञ्चल का बासमती” भी कहा  जात हैं।

2. तुलसी मंजरी :-

इसके नाम से ही पता चल रहा है इसका सुगंध तुलसी जैसा होता हैं और इसे जैविक खेती के लिए उपयुक्त माना जाता हैं यानि स्थानीय जलवायु के अनुसार।

और इसका फसल 125 से 130 दिन में तैयार हो जाता हैं।  इसकी उपज लगभग 25 दर लेकर 35 कुंटल प्रति हेक्टेर होता हैं।

3.  रत्ना :-

 ये जो किस्म है रत्ना यह एक उत्तम किस्म है धान का , इसे 1966 मे विकसित किया गया था। और ये कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी हैं इसका विकास IARI के द्वारा हुआ हैं। और ये धान की अच्छी किस्म भी हैं।
ये  130 से 135 दिन में तैयार हो जाता हैं इसकी उपज 40 से 45 कुंटल प्रति हेक्टेर होती हैं।

4. आई. आर. 8 :-

ये एक ऐसी किस्म हैं जिसका विकास IRRI {International Rice Research institute } के द्वारा हुआ हैं और इसे चमत्कारी चावल के नाम  से भी जाना जाता हैं।

ये जो फसल हैं 130 से 135 दिन के अंदर मे तैयार हो जाता हैं और इसकी उपज 60 से 70 कुंटल/हेक्टेर हैं।

5. आई. आर. 36 :-

इस किस्म का विकास भी IRRI के द्वारा ही हुआ हैं और ये भी किट और रोग प्रतिरोधी होता हैं ।  ये के काम समय में पकने वाली किस्म भी हैं।

इसका फसल 120 से 125 मे दिन मे तैयार हो जाता हैं, और इसकी उपज 60 से 65 कुंटल/हेक्टेर होता हैं।  यह किस्म भारत के अलावा कई देशों मे भी अपनाई गई हैं।

6. साकेत -4 :-

यह जो किस्म है जो ज्यादातर उत्तरप्रदेश में उगाई जाती हैं और इसे वहाँ उन्नत किस्म कहा गया हैं। ये किस्म लगभग 120 से 125 दिन मे तैयार हो जाता हैं और इसकी उपज 40 से 50 कुंटल /हेक्टेर होता हैं।

यह किस्म सामान्य घरेलू के लिए उपयुक्त होता हैं।

7. पूसा -33:-

देसी धान की 10 किस्में  में से एक हैं यह एक बहुत ही अच्छा और उन्नत किस्म हैं और यह IRRI द्वारा 1990 में विकसित किया गया था। यह एक उच्च उपज वाली किस्मों मे से एक हैं।

यह किस्म 120 से 130 दिन मे अच्छे से तैयार हो जाता हैं। इसकी उपज 45 से 55 कुंटल/हेक्टेर होती हैं।

8. राजेन्द्र धान-201 :-

यह एक बहुत ही अच्छा और उन्नत किस्म है इसे राजेन्द्र कृषि विश्वविधालय, बिहार द्वारा विकसित किया गया हैं।  इस किस्म का ज्यादातर बाड़ें पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं ।

यह लगभग 120 से 125 दिन में तैयार हो जाता हैं इसकी उपज 70 से 80 कुंटल/हेक्टेर होती हैं ।

9. बिरसा धान-201 :-

यह भी एक बहुत ही अच्छा और उन्नत किस्म है इसे बिरसा  कृषि विश्वविधालय, झारखंड  द्वारा विकसित किया गया हैं। इस किस्म का ज्यादातर बाड़ें पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं।

यह लगभग 120 से 125 दिन में तैयार हो जाता हैं इसकी उपज 70 से 80 कुंटल/हेक्टेर होती हैं ।

10. राजश्री :-

यह भी एक बहुत ही अच्छा और उन्नत किस्म है इसे बिरसा  कृषि विश्वविधालय, झारखंड  द्वारा विकसित किया गया हैं। इस किस्म का ज्यादातर बाड़ें पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं।

यह लगभग 120 से 125 दिन में तैयार हो जाता हैं इसकी उपज 80 से 90 कुंटल/हेक्टेर होती हैं।

 

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